छोटी सी कहानी : सार्थक जीवन
हरी घास के बीच एक सुखी घास का तिनका पड़ा था। उसे देखकर हरी घास उस सूखे तिनके के निष्क्रिय, अर्थहीन जीवन पर खिलखिला कर हँस पड़ी और हँसते-हँसते वह उससे कहने लगी, ‘अरे! सूखे रसहीन तिनके, तेरा हम हरे-भरों के बीच में क्या काम?’
हरी घास का यह ताना सुनकर सूखे तिनके को अपने रसहीन जीवन पर अफ़सोस होने लगा और वह उदास हो गया। तभी तेज हवा का झोंका आया। हरी घास उसमें झूमने लगी।
परन्तु सूखा तिनका फुर्र से उड़कर पास में स्थित पानी में जा गिरा। उस पानी में एक चींटी अपनी ज़िन्दगी बचाने के लिए मौत से लड़ रही थी कि अचानक उसके सामने वह सूखा तिनका आ गया।
चींटी फ़ौरन उस तिनके को पकड़कर उसपर बैठ गई। थोड़ी देर में उस तिनके के सहारे वह किनारे पर आ गई।
अपनी जान बच जाने पर चींटी ने उस सूखे तिनके को बहुत-बहुत धन्यवाद दिया। इसपर तिनका बोला, “धन्यवाद तो आपका है, जिसने मेरे अर्थहीन जीवन का अर्थ मुझे समझा दिया।”
गणित विषय में स्कूली शिक्षा मुश्किल से पास पत्नी का गणित
एक बार पति ने पत्नी से 250 रु लिए,
कुछ दिनो बाद फिर ₹250 उसने लिए,
कुछ दिनो बाद पत्नी ने पैसे वापस मांगे.
पति ने पुछा कितने ?
पत्नी ने कहा ₹4100.
वो बोला कैसे?
पत्नी का हिसाब.
👇👇👇👇
₹ 2 5 0
+₹ 2 5 0
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₹ 4 10 0
पति तब से सोच रहा था, जाने किस स्कूल से पढी है ?
बाद में पति ने ₹400 वापस किये ,
और पुछा अब कितने बचे?
फिर पत्नी ने अपना गणित लगाया,
₹ 4 1 0 0
– ₹ 4 0 0
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₹ 0100
पति ने ₹ 100 दे दिये।
हिसाब बराबर
दोनों खुशी-खुशी जीवन जी रहे हैं।
पर गणित का कत्ल हो गया
वह गणित से लड़ा, पत्नी से नहीं
🌹🙏बीमारी से लड़ो, बीमार से नहीं🙏🌹

*हास्य व्यंग्य…*
एक राजा ने अपने जीजा की सिफारिश पर एक आदमी को मौसम विभाग का मंत्री बना दिया।
– एक बार उसने शिकार पर जाने से पहले उस मंत्री से मौसम की भविष्य वाणी पूछी।
– मंत्री जी बोले “ज़रूर जाइए, मौसम कई दिनों तक बहुत अच्छा है!”
– राजा थोड़ी दूर ही गया था कि रास्ते में एक कुम्हार मिला – वो बोला, “महाराज तेज़ बारिश आने वाली है… आप कहाँ जा रहे हैं?”
अब मंत्री के मुक़ाबले कुम्हार की बात क्या मानी जाती, उसे वही चार जूते मारने की सज़ा सुनाई और आगे बढ़ गये।
– वही हुआ… थोड़ी देर बाद तेज़ आँधी के साथ बारिश आई और जंगल दलदल बन गया, राजा जी जैसे तैसे महल में वापस आए, पहले तो उस मंत्री को बर्खास्त किया;
फिर उस कुम्हार को बुलाया – इनाम दिया और मौसम विभाग के मंत्री पद की पेशकश की – कुम्हार बोला, “हुज़ूर मैं क्या जानू, मौसम-वौसम क्या होता है?” वो तो जब मेरे गधे के कान ढीले हो कर नीचे लटक जाते हैं, मैं समझ जाता हूँ वर्षा होने वाली है, और मेरा गधा कभी ग़लत साबित नहीं हुआ!
– राजा ने तुरंत कुम्हार को छोड़ कर उसके गधे को मंत्री बना दिया –
तब से ही गधों को मंत्री बनाने की प्रथा चली आ रही है!
😃😃😊😊